


रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था के खात्मे की पैरवी की और एक ऐसी बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था की जरूरत परजोर दिया, जहां सभी देश बराबरी के आधार पर काम करें और कोई भी अपनी श्रेष्ठता न थोपे, चाहे राजनीति के क्षेत्र में हो या सुरक्षा के। चीन के चार दिवसीय दौरे के बाद पुतिन ने एक प्रेस वार्ता की, जिसमें उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बराबरी की जरूरत है और ब्रिक्स व शंघाई सहयोग संगठन जैसे संगठन इस विचार के समर्थन में हैं।
खत्म हो एकध्रुवीय व्यवस्था, नहीं होना चाहिए श्रेष्ठता थोपने वाला देश
पुतिन ने कहा, एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था अन्यायपूर्ण है, यह स्पष्ट है और हम अपने संबंधों का विकास किसी बहुमत की राय के आधार पर नहीं, बल्कि एक विचार के आधार पर कर रहे हैं और वह विचार यह है कि दुनियाबहुध्रवीय होनी चाहिए। यानी सभी अंतरराष्ट्रीय संबंधों और संवाद में शामिल पक्ष बराबर होने चाहिए। एकध्रुवीय दुनिया अब खत्म होनी चाहिए।उन्होंने आगे कहा, जहां तक यह सवाल है कि बहुध्रुवीय दुनिया बनी है या नहीं, तो इसके संकेत अब दिख रहे हैं।
बदल रहा वैश्विक शक्ति संतुलन, किसी को दबदबे का अधिकार नहीं
पुतिन ने भारत और चीन जैसे आर्थिक ताकत वाले देशों का उदाहरण देते हुए माना कि वैश्विक शक्ति संतुलन अब बदल रहा है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि आर्थिक ताकत का मतलब यह नहीं है कि किसी को राजनीति या वैश्विक सुरक्षा में दबदबे का अधिकार मिल जाना चाहिए।
भारत और चीन जैसे देश आर्थिक रूप से मजबूत: व्लादिमीर पुतिन
उन्होंने कहा, इस बहुध्रुवीय दुनिया में सभी को समान अधिकार मिलने चाहिए और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार भी सभी बराबर होने चाहिए। हां, भारत और चीन जैसे देश आर्थिक रूप से बहुत मजबूत देश हैं। हमारी अर्थव्यवस्था भी क्रयशक्ति क्षमता के आधार पर दुनिया के शीर्ष चार में शामिल है। यह कोई कल्पना नहीं है, यह अंतरराष्ट्रीय संगठनों की गणना है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी को विश्व राजनीति या सुरक्षा पर राज करना चाहिए। हम नहीं मानते कि किसी को ऐसा प्रभुत्व मिलना चाहिए। सभी बराबर हों, यही सही है।